रिश्ता
कौन हूँ मैं तुम्हारा, और कौन हो तुम मेरी!
खयालोंके कच्चे धागे, बस अहसासोंकी डोरी!!
खयालोंके कच्चे धागे, बस अहसासोंकी डोरी!!
मैं एक मुसाफिर जरासा, तू शीतलसी हैं छाया!
सौ अफसाने लिख दिये, किताब फिरभी अधूरी!!
मैं चॉंद तांकता रहता हूँ, उसपार कहीं हैं गॉंव तेरा!
बादलोकी कालीन बिछाओ तो जरा, के मिलना बडा जरूरी!!
– © विक्रम