खुदा
तुफाँ उफनता पानी था
इक तु ही मेरा मानी था
रात की चौखट पे जलता
तु ही दिया आसमानी था!
तुझसेही चलना सीखा मैंने
तू इन पैरोंकी रवानी था
घाट-घाटपे जिसे साधू गायें
तु वो किस्सा-कहानी था!
उलझनोंसे जूझा तब मैं जाना
तू हर मुश्किलमें आसानी था
सायेने भी छोडा था साथ मेरा
तु अनाहत मेरा सानी था!
– © विक्रम.
Amazing!!
Thanks a lot
🙂